पम्पेड स्टोरेज परियोजना
निहित लाभों के कारण पम्पेड स्टोरेज प्रौद्योगिकी तीव्रता से प्रमुखता प्राप्त कर रहा है जैसे कि टरबाइन की तत्काल आन/आफ प्रतिक्रिया, स्थिर ग्रिड को उत्पादन परिवर्तनशीलता की तत्काल प्रतिक्रिया तथा ग्रिड दक्षता सुधार में सहायता में प्रणाली के साथ विरामी ऊर्जा संसाधन को एकीकृत करने में सहायता की श्रेष्ठ यांत्रिकी बनाना शामिल है ।
वाप्कोस के पास पम्पेड स्टोरेज परियोजनाओं के क्षेत्र में 2 दशकों से अधिक का व्यापक अनुभव है । यह पश्चिम बंगाल में पुरूलिया पम्पेड स्टोरेज परियोजना (900 मे.वाट) हेतु संकल्पना से चालू होने तक परामर्शी सेवाएं सफलतापूर्वक उपलब्ध करवा रहा है जोकि प्रचालन के अधीन है । वर्तमान में हम तुर्गा पम्पेड स्टोरेज परियोजना (1000 मे.वाट), पश्चिम बंगाल, कुंदाह पम्पेड स्टोरेज परियोजना (450 मे.वाट), तमिल नाडु तथा अपर इंदरावती पम्पेड स्टोरेज परियोजना (600 मे.वाट), ओडिशा हेतु परामर्शी सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं ।
तीव्र औद्योगिकरण के परिणामस्वरूप ऊर्जा आवश्यकता में अधिक वृद्धि हुई है । जीवाश्म ईंधन प्रकृति में सीमित है तथा तेजी से कम हो रहा है । जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने से ग्रीनहाउस गैसों का उच्च उत्सर्जन होता है जिसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन होता है। नवीकरण ऊर्जा संसाधन जैसे कि सोलर, वायु तथा जलविद्युत प्रसिद्ध है परन्तु ऊर्जा उत्पादन हेुत अविश्वसनीय व विरामी संसाधन है। पम्पेड स्टोरेज हाइड्रो इलैक्ट्रिकल ऊर्जा सम्पूर्ण विश्व में ऊर्जा स्टोरेज हेतु प्रयोग की जाने वाली सिद्ध प्रौद्योगिकी है । यह प्रौद्योगिकी ऊर्जा का यांत्रिकी स्टोरेज है जिसमें ऑफ पीक समय के दौरान अतिरिक्त विद्युत द्वारा पम्पेड यांत्रिकी द्वारा ऊपरी जलाशय को जल लिफ्ट किया जाता है । ऊपरी जलाशय में स्टोरेज क्षमता ऊर्जा का प्रयोग जहां पर आवश्यकता होती है वहां टरबाइन द्वारा विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है । भविष्य में इसी प्रकार पम्पिंग का प्रयोग बैटरी चार्जिंग के लिए भी हो सकता है ।
बड़ी संख्या में पम्पेड स्टोरेज परियोजनाओं हेतु परामर्शी सेवाओं का विवरण निम्नानुसार है :
परामर्शी सेवाएं
- जल मौसम विज्ञानी सर्वेक्षण की समीक्षा तथा मार्गदर्शन
- भूतकनीकी अन्वेषण
- स्थलाकृतिक सर्वेक्षण व पावर प्रणाली अध्ययन
- विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की तैयारी
- भूगौलिक व भूतकनीकी डाटा तथा अन्वेषण का अध्ययन
- प्रारम्भिक डिजाइन की तैयारी
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन
- सामाजिक-आर्थिक प्रभाव आकलन
- कार्यों के लागत अनुमान की तैयारी
- स्कीम का आर्थिक मूल्यांकन
- अतिरिक्त अन्वेषण व अपेक्षित परीक्षणों की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) गतिविधियों व आकलन की समीक्षा
- विस्तृत डिजाइन, परियोजना अनुसूची की तैयारी व निविदा व सिफारिशों की निविदा अभियांत्रिक, मूल्यांकन
- निर्माण ड्राइंगों की तैयारी, विक्रेता के ड्राइंग का अनुमोदन तथा स्थल पर निर्माण कार्यों का पर्यवेक्षण, भवन ड्राइंग की तैयारी व समापन रिपोर्ट, गुणवत्ता प्रक्रिया, निरीक्षण, परीक्षण, प्रगति