भूजल खोज, कूपों का विकास तथा लघु सिंचाई
वाप्कोस ने ऐरोमेगनेटिक सर्वेक्षण, रिमोट सेंसिंग एवं फोटो इन्टरप्रीटेशन की आधुनिक तकनीक नियोजित की है तथा एक तरफ गिरती हुई भूजल तालिका के कारण तथा दूसरी तरफ संसाधनों के दोहन के कारण लवणता अन्तप्रवेश तथा जल निकासी की समस्या हेतु यथावत समाधान निकालने के लिए सतही एवं भूजल के संयुक्त प्रयोग में जानकारी तथा अनुभव बनाने के अतिरिक्त अन्वेषण तथा गणितीय माडलिंग दोनों में भूजल संसाधन मूल्यांकन में अनुभव प्राप्त किया है ।
लघु सिंचाई स्कीमें भूजल पर आश्रित हैं जो सतत् कृषि विकास के लिए योगदान देती हैं तथा गत वर्षों में वाप्कोस ने भारत तथा विदेशों में लघु सिंचाई जैसे कि फसलों का चयन, फसल जल आवश्यकता, वित्तीय विश्लेषण, सैटेलाइट इमेजनरी का प्रयोग करते हुए मास्टर योजना तथा चरणवार कार्यान्वयन हेतु प्राथमिकता इत्यादि के पहलुओं को शामिल करते हुए इसी प्रकार के विभिन्न अध्ययन किए हैं ।
भूजल
जलभूगौलिक सर्वेक्षण
- जलदायी की पहचान
- पैदावार आकलन
- गुणवत्ता आकलन
- वाटर संतुलन अध्ययन
अन्वेषण व खोज
- कठोर चट्टानों में ड्रिलिंग, जलोढ़ व नदी तट, परीक्षण तथा ग्रस्न
- भूभौतिकीय पूर्वेक्षण रिमोट सेंसिंग
- जलभृत चित्रण
- जलभृत का कूप क्षेत्र विकास मूल्यांकन
- कूप विशेषताएं
- कूप डिजाइन
- इष्टतम पम्पिंग
पुनर्भरण अध्ययन
- कृत्रिम पुनर्भरण
- कूप इंजेकशन पुनर्भरण
- कूपों का पुनरूद्धार
स्थानिक अध्ययन
- जलग्रस्न
- लवणता नियंत्रण
- भूजल प्रदूषण
- भूजल माडलिंग
- भूजल मानीटरिंग व कानून
लघु सिंचाई
लघु सिंचाई हेतु मास्टर योजना की तैयारी
- जल संसाधन का आकलन
- फसल जल आवश्यकता तथा अन्य अवश्यकताएं
- सैटेलाइट इमेजनरी द्वारा स्कीमों की पहचान तथा संसाधनों का आकलन
- लिफ्ट स्कीम वित्तीय विश्लेषण हेतु ऊर्जा आवश्यकताएं
- रोजगार उत्पादन तथा सूखे व आकाल और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों को राहत हेतु कार्यान्वयन की प्राथमिकता
लघु सिंचाई परियोजनाओं की मानीटरिंग व मूल्यांकन
- आधार रेखा सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण
- वार्षिक मूल्यांकन
- तकनीकी मूल्यांकन
- गुणवत्ता नियंत्रण
- कार्य निष्पादन मूल्यांकन
कोर परामर्श
- पुरानी लघु सिंचाई स्कीमों का आधुनीकिकरण /नवीकरण