जल ग्रस्न प्रबंधन
जलग्रस्न प्रबंधन कार्यक्रम का उद्देश्य पोषण समुदाय आधारित संगठन द्वारा भागीदारी सोच व समूह कार्य अपनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना है । यह कार्यक्रम पारिस्थितिक संतुलन हेतु भूजल पुनर्भरण, मृदा तथा नमी संरक्षण, वनीकरण तथा जल संचयन को प्रोत्साहित करने, कृषि व संबद्ध क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने के लिए डिजाइन किया गया है । वाप्कोस का विशेषीकृत प्रभाग जल ग्रस्न प्रबंधन कार्यक्रम हेतु आर्थिक विश्लेषण सहित डीपीआर की तैयारी, आधार रेखा सर्वेक्षण अध्ययन, मध्य तथा पूर्व परियोजना मूल्यांकन हेतु परामर्शी कार्य करता है । गतिविधियां जैसे कि जानकारी, सफलता की कहानियों का दस्तावेजन, विडियो बनाना तथा पणधारियों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आवश्यकता आधार पर किया जाता है ।
एकीकृत जलग्रस्न प्रबंधन कार्यक्रम भू संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित प्रमुख कार्यक्रम है । योजना आयोग व ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भू संसाधन विभाग द्वारा समय समय पर जारी मानदंड व दिशा निर्देशों के अनुसार इसके कार्यान्वयन हेतु वाप्कोस आईडब्ल्यूएमपी के साथ जुड़ा हुआ है।
वाप्कोस निम्नलिखित मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जलग्रस्न प्रबंधन करता है :
- जल हेतु बढ़ते हुई प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप उपलब्ध आपूर्ति पर उच्चतम मूल्य लगाना तथा अंतत:, उनकी पानी की मात्रा के मामले में वस्तुओं व सेवाओं को पुन:परिभाषित किया गया – इससे बहुत से क्षेत्रों में जल उपलब्धता तथा गुणवत्ता में गिरावट द्वारा तीव्रता आएगी ।
- पर्यावरणीय कार्यक्रमों व मांग प्रबंधन की जल विकास गतिविधियों से दबाव में समवर्ती शिफ्ट के साथ अधिक उपयोगकर्ता फीस, लागत साझा करना व जल कार्यक्रमों की स्थानीय निधियों के परिणामस्वरूप आर्थिक दबाव ।
- जल संरक्षण तथा परियोजना विकास के सभी चरणों में पुन:प्रयोग पर फोकस बढ़ाना – कुछ क्षेत्रों में अब स्वच्छ जल आपूर्ति की तुलना में पुन:प्राप्त जल कम लागत का है ।
- उपलब्ध आपूर्तियों पर उनके प्रभावों के लिए प्रदूषण फैलाने व उपयोगकर्ताओं को धारण करने के लिए पर्यावरणीय कानून डिजाइन किया गया ।
- विधिक प्रक्रियाओं में पर्यावरणीय जल उपयोगकर्त्ता (अर्थात् मत्स्य तथा वन्य आवास) बनाम पारम्परिक आर्थिक उपयोग (अर्थात् कृषि व उद्योग) के अनुसार प्राथमिकता से सम्भवत: वृद्धि और उनके उपयोग, आवश्यकताओं तथा प्रबंधन पद्धति में अधिक कठोरता से उपयोगकर्त्ता तथा जल प्रबंधकों के औचित्य को बल देने के लिए विधिक प्रवृतियां
- सीमा पार मुद्दों तथा विवादों के निपटारे के लिए बेसिन तथा क्षेत्रीय जल योजना ।
जल ग्रस्न प्रबंध निम्नलिखित मदों को सम्बोधित करता है :
- एकीकृत जल संसाधन विकास व प्रबंधन
- जल संसाधन आकलन और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तथा जलग्रस्न में अन्य प्राकृतिक व मानव निर्मित परिवर्तन
- जल संसाधन, जल गुणवत्ता तथा जलदायी पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण
- जल तथा सतत् शहरी विकास तथा शहरी संदर्भ में पेय जल आपूर्ति तथा स्वच्छता
- सतत् खाद्य उत्पादन हेतु जल तथा ग्रामीण विकास और ग्रामीण संदर्भ में पेय जल आपूर्ति तथा स्वच्छता
- राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय स्तरों पर कार्यान्वयन तथा समन्वय हेतु यंत्रावली